Counter Strike
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एक रोज़

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सुनते हैं कि मिल जाती है हर चीज़ दुआ से
एक रोज़ तुम्हे मांग के देखेंगे खुदा से

- Rana Akbarabadi
2 comments:

Kuch khud bhi farmaaiey.. Irshaaad!!


आपकी गुज़ारिश हम भला कैसे ठुकरा सकते है? अर्ज़ किया है...

“यह सच है कभी तूने ना समझी मेरी वफ़ा
सच ये भी है की मैं भी न काबिल तेरे निकला”

मेरी नयी ग़ज़ल का शेर है| उम्मीद है पसंद आया होगा| ग़ज़ल जल्दी ही पूरा करने कि आरजू है| बहरहाल, खाकसार ने कुछ कविताएँ लिखी थीं| शौक़ फर्माइये...

* कमी
* ओस



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